राजस्थान की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में भील जनजाति के बारे में प्रश्न पूछा जाता है

Bheel Tribe of Rajasthan

यह वनों से प्राप्त लकड़ी, शहद, कुछ जड़ी बूटियां, और अन्य वनों से प्राप्त वस्तु इत्यादि को बाजार में बेच कर भी अपना जीवन यापन करते हैं।

जीवन यापन

कुछ भील जनजाति (Bheel Janjati Rajasthan) के लोग आज शिक्षित है और भील जनजाति के लिए काम कर रहे हैं वह भील जनजाति को भी शिक्षा की ओर अग्रसर करने में प्रयासरत हैं।

शिक्षा 

भील जनजाति दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा डूंगरपुर भरतपुर एवं चित्तौड़गढ़ जिले में अधिक है, सबसे अधिक चित्तौड़गढ़ जिले के प्रतापगढ़ तहसील के वेशभू में भील जनजाति अधिक है।

निवास स्थान

भीलों में आजीविका के मुख्य साधन शिकार, वनोपज विक्रय एवं कृषि आदि है।

भील जनजाति की अर्थव्यवस्था

भीलों द्वारा मैदानी भागों में वनों को काटकर चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, गेहुँ, चना, आदि बोये जाते हैं। इस प्रकार की खेती को दजिया कहते हैं।

दजिया

भील जनजाति द्वारा पहाड़ी ढ़ालों के वनों को जलाकर बनाई गई कृषि योग्य भूमि जिसमें वर्षा काल के दौरान अनाज, दाले, सब्जियाँ बोई जाती हैं।

चिमाता

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