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Sri Ganganagar का भौगोलिक परिचय
- Sri Ganganagar जिले का क्षेत्रफल – 10978 वर्ग किलोमीटर है।
- नगरीय क्षेत्रफल – 70.09 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 10,907.91 वर्ग किलोमीटर है।
- Sri Ganganagar जिले में कुल वनक्षेत्र – 633.44 वर्ग किलोमीटर
- उपखण्ड संख्या – 6
- तहसील संख्या – 9
- उपतहसील सख्ंया – 6
- ग्राम पंचायतों की संख्या – 320
Sri Ganganagar की तहसील
श्री गंगानगर जिले में 9 तहसील है।
S.N. | तहसील | ग्राम पंचायत | गाँव |
---|---|---|---|
1 | Anupgarh | 29 | 399 |
2 | Ganganagar | 48 | 288 |
3 | Gharsana | 35 | 461 |
4 | Karanpur | 35 | 239 |
5 | Padampur | 36 | 249 |
6 | Raisinghnagar | 47 | 408 |
7 | Sadulshahar | 31 | 238 |
8 | Suratgarh | 46 | 500 |
9 | Vijaynagar | 29 | 279 |
Total | – | 336 | 3061 |
2011 की जनगणना के अनुसार Sri Ganganagar की जनसंख्या के आंकड़े
कुल जनसंख्या | 19,69,168 |
पुरुष | 10,43,340 |
स्त्री | 9,25,828 |
दशकीय वृद्धि दर | 10% |
लिंगानुपात | 887 |
जनसंख्या घनत्व | 179 |
साक्षरता दर | 69.6% |
पुरुष साक्षरता | 78.5% |
महिला साक्षरता | 59.7% |
- Sri Ganganagar जिले में कुल पशुधन – 1585244 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
- Sri Ganganagar जिले में कुल पशु घनत्व – 144 (LIVESTOCK DENSITY(PER SQ. KM.))
- राजस्थान के सबसे उत्तर में कोणा गाँव, गंगानगर तहसील, गंगानगर जिला है।
- श्री गंगानगर जिले की अन्तर्राष्ट्रीय व अन्तर्राज्यीय दोनों प्रकार की सीमाएँ लगती है।
- गंगानगर की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ 210 किमी. लगती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय सीमा की शुरुआत श्रीगंगानगर जिले के हिन्दुमल कोट से होती है।
- गंगानगर की अन्तर्राज्यीय सीमा पंजाब के साथ लगती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय सीमा (रेडक्लिफ) पर राज्य का सबसे नजदीक जिला मुख्यालय गंगानगर है।
- Sri Ganganagar जिले की मानचित्र स्थिति – 28°4′ से 30°6′ उत्तरी अक्षांश तथा 72°30′ से 74°16′ पूर्वी देशान्तर है।
विधानसभा क्षेत्र
Sri Ganganagar जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 6 है, जो निम्न है –
- सादुलशहर
- गंगानगर
- करणपुर
- सूरतगढ़
- रायसिंहनगर
- अनूपगढ़
श्रीगंगानगर का ऐतिहासिक वर्णन
प्राचीन समय में यह ‘रामनगर’ नामक ग्राम था, जो बीकानेर रियासत का भाग था।
राजस्थान एकीकरण में 30 मार्च, 1949 को इसे जिले का रूप दिया गया एव इसका नाम श्री गंगानगर रख दिया।
श्रीगंगानगर जिलें की नदियाँ
घग्घर नदी– यह नदी हिमालय पर्वतमाला में स्थित शिवालिक की पहाड़ियों (हिमाचल प्रदेश) से निकलती है। यह नदी हिमाचल प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब राज्यों में बहती हुई राजस्थान में खख्खा (हनुमानगढ़) नामक स्थान पर प्रवेश करती है। घग्घर नदी राजस्थान में भटनेर (हनुमानगढ़) के पास बीकानेर के धोरों में विलीन हो जाती है।
वर्षा ऋतु में जब घग्घर नदी में पानी की आवक बढ़ जाती है, तब इसका पानी पाकिस्तान के फोर्ट अब्बास (बहावलपुर) तक चला जाता है। घग्घर नदी को मृत नदी या नट नदी भी कहा जाता है। इस नदी को हनुमानगढ़ में नाली तथा पाकिस्तान में हकरा के नाम से जाना जाता है। घग्घर नदी राजस्थान की आंतरिक प्रवाह की सबसे लम्बी नदी है।
इस नदी के किनारे भारत की प्रसिद्ध कालीबंगा सभ्यता विकसित हुई, जो कि हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख नगर था। घग्घर नदी के अलावा श्री गंगानगर में अन्य कोई नदी नहीं है। घग्घर नदी, राजस्थान की एकमात्र अन्तर्राष्ट्रीय नदी है।
श्रीगंगानगर की अन्य जल (सिंचाई एवं पेयजल) परियोजनाऐं –
लूणकरणसर लिफ्ट नहर (इन्दिरा गाँधी नहर की लिफ्ट नहर)—इसका नया नाम कँवरसेन लिफ्ट नहर है। इन्दिरा गाँधी नहर की यह सबसे बड़ी लिफ्ट नहर है। इससे गंगानगर व बीकानेर को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है। इन्दिरा गाँधी नहर की दो शाखाएँ श्री गंगानगर में है-1. सूरतगढ़ शाखा, 2. अनूपगढ़ शाखा।
गंगनहर परियोजना
गंगनहर के निर्माण का श्रेय बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को है। गंगनहर परियोजना के कारण ही महाराजा गंगासिंह को बीकानेर का भागीरथ व राजस्थान का भागीरथ भी कहा जाता है। गंगनहर को बीकानेर नहर के नाम से भी जाना जाता है। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह व बहावलपुर प्रांत (पंजाब) के मध्य 4 सितंबर, 1920 ई. को सतलज नदी के पानी को राजस्थान में लाने हेतु एक समझौता हुआ। महाराजा गंगासिंह ने 5 सितम्बर 1921 को हुसैनीवाला (फिरोजपुर, पंजाब) में सतलज नदी पर गंगनहर की स्थापना की।
26 अक्टूबर, 1927 को लार्ड इरविन ने शिवपुर हैड (गंगानगर) पर गंग नहर का उद्घाटन किया। गंगनहर का निर्माण कार्य 1922 से 1927 ई. तक हुआ। गंगनहर की कुल लम्बाई 129 किमी. है। जिसमें से पंजाब में 112 किमी. तथा
राजस्थान में 17 किमी. है। गंगनहर, राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के शिवपुर तक है। गंगनहर की वितरिकाओं की कुल लंबाई 1280 किमी. है। गंगनहर से राजस्थान के केवल श्रीगंगानगर जिलें में ही सिंचाई होती है। गंगनहर की प्रमुख शाखाऐं करणजी, लालगढ़, समिजा व लक्ष्मीनारायणजी है। यह नहर श्री गंगानगर जिले की जीवन रेखा कहलाती है। नहर विश्व की सबसे प्राचीन पक्की नहर है। यह राजस्थान की प्रथम वृहद् सिंचाई परियोजना है।
नोट — इसी दिन रामनगर का नाम श्री गंगानगर रख दिया।
महाराजा गंगासिंह को आधुनिक भारत का भागीरथ कहते हैं। गंगनहर लिंक चैनल 15 फरवरी, 1984 को गंगनहर की जर्जर हालात को सुधारने के लिए इसकी स्थापना की। इसका उद्गम हरियाणा के लोहागढ़ नामक स्थान से होता है तथा साधुवाली (गंगानगर) के समीप यह गंगनहर में मिल जाती है।
गंगनहर लिंक चैनल की कुल लम्बाई 80 किमी. है। गंगनहर की जर्जर स्थिति को सुधारने के लिए केन्द्रीय जल आयोग के द्वारा 31 मई, 2000 ई. को मरम्मत की स्वीकृति प्रदान की गई। गंगनहर की मरम्मत की कुल लागत 445.79 करोड़ रुपये आई थी।
श्रीगंगानगर के प्रमुख स्थल
गुरुद्वारा बुड्ढ़ा जोहड़
राजस्थान के इस सुप्रसिद्ध गुरुद्वारे का निर्माण संत फतेहसिंह ने 1954 में करवाया। इसे राजस्थान का स्वर्णमन्दिर कहते हैं। यहाँ श्रावण की अमावस्या को मेला भरता है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है।
डाडा पम्पाराम का डेरा
यह विजयनगर में है। यह स्थल पम्पारामजी का समाधि स्थल है। इनकी स्मृति में यहाँ पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह में सात दिवसीय मेला लगता है।
श्रीगंगानगर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व
कर्नल अवतार सिंह चीमा — अर्जुन पुरस्कार विजेता अवतार सिंह प्रथम भारतीय माउण्ट एवरेस्ट विजेता है।
मीनाक्षी आहूजा — 2007-08 में सुमनेश जोशी पुरस्कार उनकी कृति ‘रेत पर बने पद चिन्ह’ के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा दिया गया है।
महरदीन — रुस्तम-ए-हिन्द, भारत भीम और भारत केसरी का खिताब हासिल करने वाले गंगानगर निवासी महरदीन का जनवरी 2006 में निधन हो गया।
जगजीत सिंह — प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह का जन्म 1941 ई. में गंगानगर में हुआ, इन्हें 2003 में पद्मविभूषण से नवाजा गया 10 अक्टूबर 2011 को इनका निधन हो गया।
श्रीगंगानगर के महत्त्वपूर्ण तथ्य
केजरीवाल आयोग —11 फरवरी, 2005 को राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर. एस. केजरीवाल की अध्यक्षता में घड़साना में हुए गोलीकाण्ड (2004) की जाँच हेतु आयोग गठित किया गया। घड़साना गोलीकाण्ड का कारण – पानी की पूर्ती न होने के कारण, नेतृत्व:-हेतराम बेनीवाल और श्योपन सिंह। गोलीकांड में शहीद:-चंदूराम।
द गंगानगर शुगर मिल्स — राज्य की द्वितीय एवम् सार्वजनिक क्षेत्र की प्रथम चीनी मिल की स्थापना 1937 में गंगानगर में की गई। 1 जुलाई 1956 को इसे सार्वजनिक क्षेत्र की मिल घोषित किया। 1968 से यहाँ पर गन्ने के साथ-साथ चुकन्दर से चीनी बनाने का कार्य भी किया जाता है। इस मिल में गन्ने के शोरे से शराब बनाने का कार्य भी किया जाता है।
सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन — यह राज्य का प्रथम सुपर थर्मल पावर स्टेशन है। यह ठुकराणा गाँव (सूरतगढ़, गंगानगर) में स्थापित किया गया है। इससे राज्य को सर्वाधिक विद्युत की आपूर्ति (1500 मेगावाट) होती है। इसे राजस्थान का आधुनिक तीर्थ स्थल कहते हैं।
कृषित क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक सिंचित क्षेत्रफल श्री गंगानगर का है।
श्री गंगानगर में 25 किस्म के अन्न उत्पादित होने के कारण इसे राजस्थान का अन्नागार, धान का कटोरा, अन्न भण्डार कहते हैं। एशिया का सबसे बड़ा केन्द्रीय कृषि फार्म-सूरतगढ़ में है। (स्थापना-15 अगस्त, 1956 को रूस की सहायता से) समग्र फल उत्पादन की दृष्टि से सर्वाधिक फल गंगानगर में होते हैं अत: इसे बागानों की भूमि कहते हैं। राज्य में सबसे अधिक कृषि मण्डियाँ श्री गंगानगर में है। श्रीगंगानगर जिले को राजस्थान का अन्नागार कहा जाता है। किन्नू की मण्डी श्री गंगानगर में लगती है।
राठी गाय शोध केन्द्र — अनूपगढ़ (श्री गंगानगर) में स्थित है।
नाली — नाली किस्म की भेड़ें श्रीगंगानगर में है। इन भेड़ों से प्राप्त ऊन का रेशा सबसे लम्बा होता है।
शुष्क बन्दरगाह — श्री गंगानगर में राज्य का छठा शुष्क बन्दरगाह स्थापित किया गया है। राजस्थान में सिक्ख धर्म के लोग गंगानगर में सर्वाधिक निवास करते हैं।
मायड़ भाषा सम्मान यात्रा — श्री गंगानगर से दिल्ली के लिए 21 फरवरी, 2005 को यह यात्रा राजस्थानी भाषा को राजकीय भाषा की मान्यता दिलाने हेतु प्रारम्भ हुई।
गंगानगर में राज्य का प्रथम निजी आयुर्वेद महाविद्यालय स्थित है।
श्री जगदम्बा अंध विद्यालय विकलांग शिक्षा के लिए अनुकरणीय संस्था है। सर्वाधिक एल्कोहॉल गंगानगर से प्राप्त होता है। राज्य का तीसरा एग्रो फूड पार्क गंगानगर में है। राज्य का पहला बायोमास आधारित संयत्र पद्मपुर गंगानगर में बनाया गया।
राज्य में सर्वाधिक कृषिगत औजार-गजसिंहपुर (श्री गंगानगर) में बनते हैं।